Thursday, February 26, 2009

मंजिल...

मंजिल को पाने का जूनून ऐसा हुआ
की ख़ुद को ही भुला दिया
बस मंजिल की तरफ़ बड़ते गए आगे
और रिश्ते भी छूट गए सारे पीछे
जब मंजिल को जीत कर आए
पाया जशन में हो गए अकेले।

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